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शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

Tehri Lake (टिहरी झील)



14 अगस्त 2016
हम सुबह 6 बजे ऊठ गए, खिडकी खोल कर बाहर देखा तो अभी सडक पर कोई चहल पहल होती नही दिख रही थी, होटल से कुछ दूर एक छत पर कुछ बंदर उछल कूद कर रहे थे। पहाडी कौए भी इधर से उधर उड रहे थे, सामने के पहाडी पर कुछ बादल से उमड उमड कर आ रहे थे, यह सब देख कर मन को अच्छा लगा रहा था, यहां पर ना किसी बात की जल्दी थी ना ही किसी बात की फिक्र। लगभग 6:30 पर होटल के एक वेटर को कह दिया की आलू के परांठे व चाय 7 बजे तक ले आना। देवांग कैमरा ऊठाकर खिडकी के पास जा बैठा, कुछ फोटो खींचे उसने। वह खुश था यहां आकर व इन पहाडो को देखकर।

सुबह हम फ्रेश होकर व अपना बैग पैक कर के तैयार हो गए।  लगभग 7:15 पर वेटर चाय व परांठे लेकर आ गया।  सुबह चाय परांठे मिल जाए तो मन प्रसन्न हो ऊंठता है, नाश्ता करने के पश्चात हम टिहरी झील के लिए निकल गए। हमने झील तक जाने के लिए कोटि कॉलोनी वाला रास्ता पकड़ लिया, इसी रास्ते से एक रास्ता नई टिहरी को चला जाता है। चम्बा से कोटि कॉलोनी मात्र 17 km की दूरी पर है इसलिए हमे ज्यादा वक्त नहीं लगा यहाँ पहुचने में, वैसे रस्ते में हमे कई वॉटरफॉल मिले जो रास्ते की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। वैसे इस रास्ते पर दुकाने, होटल वगैरा इतने नहीं है। थोड़े बहुत है भी तो वह साधारण से ही है। क्योंकि इधर पर्यटक ज्यादा नहीं आते है। लकिन जब टिहरी झील में श्रीनगर(कश्मीर) की डल झील की तरह शिकारे चलने लगेंगे तब इस रास्ते पर भी रौनक होगी। वैसे बोट वगैरह चलना शुरू हो गयी है और कुछ दिन बाद जब यहाँ पर हर सुविधा पर्यटकों को मिलनी लगेगी तब यहाँ से भी उत्तराखंड सरकार को काफी आय होगी। आसपास के लोगो को जीविका व्यापन के नए नए काम मिलने लगेंगे।

टिहरी झील की पहली झलक दूर से दिखी तो लगा नहीं की यह इतनी बड़ी होगी। हम थोड़ा और आगे बढे तो देखा की एक जगह तीन चार टेक्सी खड़ी थी और एक छोटा सा होटल भी था। और यहाँ से झील का व्यू भी दिख रहा है, मैंने एक व्यक्ति से पूछा की यहाँ पर बोटिंग कहा से होती है तो उन्होंने बताया कि आगे जाकर नीचे झील की तरफ रास्ता जाता है वही से बोट मिलेगी पर 10 बजे से, लकिन अभी 8:15 ही हो रहे थे। वही पर एक बहुत बड़ी बिल्डिंग बन रही थी जब यह तैयार हो जायेगी तब यही से बोट मिलेगी और रेस्टोरंट की सुविधा भी मिलेगी। हम आगे की तरफ चल पड़े लकिन वो रास्ते पर ध्यान ही नहीं गया और आगे टिहरी बाँध तक पहुच गये, आगे एक गार्ड ने हमे रोका उसने बताया कि यह आम रास्ता नहीं है केवल वही गाड़ी जा सकती है जिनको परमिशन है। हम वहा से वापिस हो गए।

 पास में ही एक शिव  मंदिर था जहाँ पर हम कुछ देर बैठे रहे फिर दर्शन करने के बाद वापिस चल पड़े। आगे जाकर वो रास्ता मिल गया और मैंने अपनी कार उसी रास्ते पर मोड़ दी, आगे एक हैलीपैड मिला जहा पर मैंने अपनी कार पार्क कर दी। अभी यहाँ पर कोई नहीं था। हम झील की तरफ चल पड़े। झील यहाँ से बहुत लंबी छोड़ी दिख रही थी, हरा रंग का पानी और चारो तरफ पहाड़ और उन पर बदलो का जमावड़ा यह सब मन और दिल को सकून दे रहे थे। दूर बांध का कुछ हिस्सा भी दिख रहा था। कुछ बोट अभी पानी में खड़ी थी कुछ देर बाद झील में चलती नज़र आएगी। पास की झड़ी में कुछ सुकर घूम रहे थे। जिन्हें देखकर देवांग डर गया था। फिर मैंने उसे बताया कि यह जंगली नहीं है बल्कि पालतू है। झील को निहारना बहुत अच्छा लग रहा था। अभी यहाँ पर पर्यटको को किसी भी तरह की कोई सुविधा नही है, लेकिन आने वाले सालों में यह जगह एक बेहतरीन जगहो में से एक होगी।

टिहरी झील गंगा की एक सहायक नदी भागिरती पर बनी है, इस झील पर बना बाँध दुनिया के सबसे ऊंचे बांधो में से एक है। यह झील बांध के कारण ही बनी है और यह काफी बड़ी है अगर श्रीनगर की डल झील से तुलना करें तो यह उससे काफी बड़ी है। टिहरी बांध के द्वारा बनाई गई बिजली (विधुत ) उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तरप्रदेश के काम आती है।

झील देखकर हम वापस चल पड़े, रास्ते में मजदुरो के कुछ घर दिखाई दिए जिसमे बहुत से बच्चे खेल रहे थे। हमारे पास बहुत टॉफियाँ थी जो हमने इन बच्चो को दी। फिर कुछ बच्चे और आ गए हमने इन्हें ही कुछ टॉफियां दी सभी बच्चे बहुत खुश हुए हमने उन बच्चो को बाय बाय कहा और वहाँ से चल पड़े। आगे एक गांव पड़ा वहा पर चाय की दुकान देख कर गाड़ी रोक दी। यहाँ पर चाय और बिस्किट खाये और चल दिए। रासते में कई वॉटरफॉल मिले उनमे से एक वॉटरफॉल पर थोडी देर रुक गए। पानी को ऊपर से गिरते हुए देखना व उसकी आवाज सुनना बहुत अच्छा लगता है। यहां से हम चम्बा पहुच गये, चम्बा में बहुत सेब मिल रहे थे। यह जगह सेब के लिए भी काफी फेमस है, सेब ले लिए और खाते खाते चल पड़े सुरकुंडा देवी (धनोल्टी) की तरफ.....

अब कुछ फोटो देखे जायें.....



टिहरी झील की पहली झलक 

टिहरी झील 

डैम की तरफ जाता रास्ता 

एक शिव मंदिर 



मैं सचिन त्यागी टिहरी झील पर 









यह फोटो देवांग ने लिया था। 

बादलों का प्रतिबिम्ब 

एक सेल्फी अपनी 


मै और मेरी कार 


टी टाइम 


वो बच्चे जीने हमने टॉफी दी थी। 




रास्ते में एक वॉटरफॉल। 


32 टिप्‍पणियां:

  1. सचिन भाई शुरू में ही परांठों का जिक्र और पोस्ट डाली नवरात्रों में, खैर ठीक है.. ;)
    बढ़िया पोस्ट भाई सचमुच तिहरी झील की जितनी हम कल्पना करते है उससे कहीं बहुत ज्यादा बड़ी है ये, हर कदम पे हमें लगता है बहुत बड़ी और अगले कदम पर दिखती है उससे भी बड़ी.
    बादलों के प्रतिबम्ब वाला फोटो गज़ब का आया है, और झरने तो आपको बोनस में मिले :)

    सचमुच जिस दिन सरकार इस स्थान पर सही सुविधाएँ मुहैय्या करा पायेगी ये एक गज़ब का पर्यटन स्थल होगा..

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  2. टिहरी झील बहुत ही सुंदर दिख रही है। यात्रा का वृतान्त बढ़िया है। आगे की यात्रा का इंतज़ार रहेगा।

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  3. अच्छा वर्णन लिखा है सचिन जी।
    बहुत ही सरल भाषा में आपने अपनी यात्रा को हूबहू पोस्ट में उतार दिया है, जिसके लिए बधाई 💐
    फोटोज सभी बहुत सुंदर हैं।

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    1. आप लोगो से बहुत कुछ सीखा है। बस ऐसे ही ध्यान रखिए पाहवा जी।

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  4. बहुत अच्छा है यात्रा का वर्णन , लेकिन सचिन जी अभी अप्रैल और अभी करीब 10 दिन पहले ही हम भी टेहरी झील के ऊपर बने पुल से गुजरे हैं उसके लिए कोई अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती बस शर्त ये होती है कि पल के ऊपर गाडी नहीं रोकनी चाहिए और कुछ नहीं पता नहीं क्यों CISF वाले ने आगे जाने से रोक दिया आपको..?
    चलो कोई नहीं अगली बार जाओ तो उम्मीद है कि वो नजारा भी देखने को मिले
    यात्रा वृतांत पढ़ कर आनंद आया...

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    1. पता नहीं मुझे क्यों जाने नहीं दिया हो सकता है उस समय कुछ सुधार कार्य चल रहा हो, वैसे भी तीन चार गड्डियां वहा पर रुकी हुई थी
      चलो कोई नहीं अबकी बार जायेंगे तोह उधर भी होकर आएंगे,
      धन्यवाद पवन जी

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  5. Nice post sachin ji. Pictures are also good. I have seen this lake only from a bus. Visit here .........soon. Thanks

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  6. परांठों से शुरू होकर वाटरफाल तक । बहुत ही सुन्दर फ़ोटो । आपने भी कार सीधे हेलिपैड पर ही पार्क कर दी । क्या हुआ जो पुल पर जाने नही दिया । आसान शब्दों में बढियां वर्णन ।

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    1. शुक्रिया पांडेय जी।
      पता नहीं क्यों जाने नहीं दिया हो सकता है कुछ सुधार कार्य चल रहा हो इसलिए मुझे कह दिया हो की केवल रजिस्टर्ड वाहन जी जा सकते है। कोई नहीं अगली बार अवश्य हो कर आऊंगा।

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  7. बहुत बढ़िया सचिन भाई.....आपकी टिहरी यात्रा पढ़कर अपनी यात्रा को फिर याद कर लिया |

    टिहरी डेम का फोटो नहीं लगाया आपने...? डेम से आगे श्रीनगर , बद्रीनाथ और केदारनाथ को रास्ता जाता है ...यही से आगे वोही गाड़िया जाती है जिन्हें इन जगह जाना होता है | झील के फोटो अच्छे लगे...

    धन्यवाद

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    1. थैंक्स रितेश जी।
      में डैम पर नहीं गया। बस झील से ही होकर आ गया।

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  8. ऐसे रास्तों पर जहॉ जाने की मनाही हो , रिक्वैस्ट मार लेनी चाहिये, बिल्कुल मासूम बन जाना चाहिये । मैंने एक दो बार ऐसा किया है, इसलिये कह रहा हूं । आजमाइयेगा । सचिन भाई जिसके पास अपना व्हीकल नहीं है वो कैसे जा सकते हैं? सार्वजनिक वाहन उपलब्ध हैं?

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    उत्तर
    1. Thanks योगी जी।
      चम्बा से कोटि के लिए खूब गाड़ी चलती है। और बस भी जो आगे तक जाती है,वापसी में मैंने कई बस देखि थी।

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  9. सचिन जी ,बधाई टिहरी झील का बहुत ही सरल और सुन्दर यात्रा वर्णन किया है आपने एयर हमेशा की तरह फ़ोटो भी बहुत सूंदर हैं। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।

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  10. बहुत बढ़िया सचिन भाई,वहां जाने की इच्छा और बलबती हो गयी।यहाँ जाने का काफी समय से मन है।पर एक त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाना चाहूँगा आखिर के पैरा में सब नहीं सेब होगा जहाँ तक मैं समझ पा रहा हूँ।धन्यवाद।

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    1. धन्यवाद रूपेश भाई।
      जी हां वो सेब ही लिखा था पर सब हो गया। ठीक कर दिया है,एक बार फिर से शुक्रिया।

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  11. बहुत सुन्दर वर्णन बहुत ही साधारण शब्दो में, लाजवाब।

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  12. सुंदर पोसट।भाग रहा हूँ अगले पोस्ट पर

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